अम्बेडकर नगर पुलिस प्रशासन पर जनता उठा रही है सवाल
फरियादियों का कोतवाली और थानों से उठ रहा विश्वास
_*बीजेपी को अंबेडकरनगर से 5 विधानसभा से हार का मुंह देखना पड़ा था इसमें सबसे बड़ी भूमिका अंबेडकर नगर की पुलिस प्रशासन कथा*_
*——–वजह———*
उत्तर प्रदेश की योगी सरकार भले ही जनता की सुरक्षा के बड़े बड़े दावे करें लेकिन आज भी जनपद में न्याय पाना मुश्किल नजर आ रहा है।जहाँ योगी सरकार गुंडे माफियाओं को ऊपर या प्रदेश छोड़ने की धमकी देते रहे। वही अत्याचार से बचाने और पीडितों की हर संभव मदद कर उन्हें न्याय दिलाने की बात करती है।जिस महकमे पर कानून लागू करने का जिम्मा है, वही विभाग इन दिनों कानून से खेल रहा है। यूं कहें तो यूपी पुलिस इन दिनों या दबंगोंतो पस्त हो गई है या तो भ्रष्ट कहीं यह महकमा बेबस है तो कहीं पैसे के लालच में जनता को बेबस कर रहा है। हालांकि सूबे के सीएम महंत आदित्यनाथ चाहते हैं कि यूपी की पुलिस बेहतर परफारमेंस करें लेकिन पुलिस है कि मानती ही नहीं।अक्सर देखा जाता है कि जब पीड़ित व्यक्ति थाने पर जाता है तो उसकी सुनवाई नहीं हो पाती। पुलिस उसका शिकायती पत्र ले तो लेती है, लेकिन इसका उपयोग अक्सर दूसरे पक्ष से आर्थिक लाभ लेने में करती है। इससे पीड़ित व्यक्ति को न्याय नहीं मिल पाता है।यहां तक कुछ मामले ऐसे भी सामने आए हैं, जिनमें पुलिस शिकायतकर्ता के विरोध में ही गलत रिपोर्ट लगाकर भेज देती है। इससे पीड़ित व्यक्ति न्याय पाने के लिए भटकता रहता है। हालात यह हैं कि अब लोगों को सीओ स्तर से न्याय मिलने का भी भरोसा समाप्त हो गया है। पीड़ित को आस रहती है कि यदि वह एसपी से मिलेगा तो उसे न्याय मिल सकता है। इसी उम्मीद को लेकर पीड़ित व्यक्ति एसपी दफ्तर के चक्कर काटता रहता है। इनमें सर्वाधिक शिकायतें अकबरपुर कोतवाली क्षेत्र की होती हैं।अफसर जनशिकायतों के निस्तारण को लेकर बैठकों में भी मातहत अधिकारियों को दिशा-निर्देश देते हैं और उनका प्राथमिकता के आधार पर निस्तारण करने की बात कहते हैं। यहां तक कि लापरवाही करने पर दंडित करने की बात कहने में भी कोई गुरेज नहीं करते, लेकिन जिले के थानेदारों पर इसका कोई असर नहीं पड़ता है।सरकार चाहे जिस पार्टी की रही हो, लेकिन थाने दलालों से मुक्त नहीं हो पाए हैं। राजनीतिक हस्तक्षेप का आलम यह है कि अक्सर नेता उत्पीड़न करने वालों और आपराधिक तत्वों के पक्ष में पैरवी करते नजर आते हैं। पीड़ित व्यक्ति को खुद ही अपनी लड़ाई लड़नी पड़ती है। यही हाल दलालों का भी है। वे भी अपराधियों की तरफदारी करके मोटी कमाई करते और कराते हैं। इससे पीड़ित पक्ष को थाने से निराशा हाथ लगती है। एसपी दफ्तर पर आने वाली शिकायतों पर यदि गौर करें तो अधिकतर मामले जमीन के विवाद और घरेलू हिंसा से जुड़े होते हैं। जमीन के विवाद राजस्व विभाग से जुड़े होने के कारण पुलिस इन विवादों के निस्तारण में नजर आती है ऐसे मामले में भी न्याय उसी को मिलता है जो साहब को संतुष्ट कर ले जाता है। पुलिस का खौफ कुछ इस तरह लोगों में है कि लोग थाने में जाने से भी डरते हैं।स्थानीय स्तर के बजाय उन्हें जिला और प्रदेश स्तर पर अपनी शिकायतें रखने में अधिक सहूलियत होती है। यही कारण है कि डीएम और एसपी के कार्यालयों में फरियादियों की भीड़ लगातार बढ़ रही है। जब फरियादियों को यहां से भी निराशा हाथ लगती हैं तो वह प्रदेश के आला अफसरों के अलावा मुख्यमंत्री के जनता दरबार में भी पहुंच जाते हैं। इधर अम्बेडकर नगर जिले के बड़ी संख्या में फरियादी मुख्यमंत्री के दरबार में पहुंचे रहे हैं।