2023 यूपी बोर्ड एग्जाम में सख्ती बढ़ी तो भाग निकले दूसरे राज्यों के नकलची, 33 हजार छात्र हुए कम

उत्तर प्रदेश बोर्ड की परीक्षा में नकल के भरोसे रहने वाले परीक्षार्थियों और नकल माफियाओं पर कसते शिकंजे का असर साफ दिख रहा है. दरअसल, यूपी बोर्ड में परीक्षा देने वाले छात्रों की तादाद उत्तर प्रदेश के अलावा दूसरे प्रदेशों की भी बढ़ती जा रही थी. जिसमें नकल माफियाओं का भी काफी रोल होता था और बाहरी छात्रों को पास कराने का ठेका होता था. इससे आराम से दूसरे प्रदेश के छात्र-छात्राएं बहुत सरल तरीके से पास हो जाया करते थे. लेकिन यूपी बोर्ड द्वारा नकल माफिया पर हो रही सख्त कार्रवाई की वजह से इस बार यूपी बोर्ड के 10वीं में परीक्षार्थियों दूसरे प्रदेशों के छात्र कम नजर आए.

साल 2017 की यूपी बोर्ड हाईस्कूल की परीक्षा में उत्तर प्रदेश से बाहर के एक लाख से अधिक प्राइवेट छात्रों ने रजिस्ट्रेशन करवाया था. देश का शायद ही कोई ऐसा प्रदेश बचा हो जहां के स्कूली छात्रों ने यूपी बोर्ड से परीक्षा देने के लिए फॉर्म नहीं भरा हो.

उत्तर प्रदेश माध्यमिक शिक्षा परिषद (यूपी बोर्ड) के 10वीं के फॉर्म भरने वाले प्राइवेट स्कूलों में परीक्षार्थी ऐसे थे जो 9वीं के बाद यूपी बोर्ड से 10वीं का परीक्षा फॉर्म भरते थे. ये ऐसे दूसरे प्रदेशों के परीक्षार्थी थे जो अपने बोर्ड से 10वीं की परीक्षा पास नहीं कर सके थे. लिहाजा पास होने के लिए सबसे सस्ता बोर्ड उनको यूपी बोर्ड नजर आता था.

दरअसल यूपी बोर्ड के हाईस्कूल परीक्षा में शामिल होने वाले इन परीक्षार्थियों के प्रमाण पत्र पर लिखी बर्थ की डेट ही मान्य होती है. इसलिए ऐसा कहा जाता है कि बाहरी प्रदेशों के परीक्षार्थी 10वीं में सबसे अधिक यूपी बोर्ड में आते हैं. उत्तर प्रदेश के बाहर असम से गोवा तक के परीक्षार्थी यूपी बोर्ड की परीक्षा में हाईस्कूल का सर्टिफिकेट लेने के लिए आते थे. इसका फायदा प्राइवेट स्कूल और नकल माफिया पूरी तरीके से उठाकर मोटी रकम परीक्षार्थियों से लिया करते थे. साल 2017 में त्रिपुरा, दिल्ली, छत्तीसगढ़, पश्चिम बंगाल, झारखंड, राजस्थान, बिहार, असम, गोवा, उड़ीसा, हरियाणा, पंजाब, जम्मू और कश्मीर, केरल और आंध्र प्रदेश से काफी संख्या में हाईस्कूल परीक्षा में पंजीकरण कराया था.


हालांकि यूपी बोर्ड में नकल माफियाओं पर बढ़ते शिकंजे को कम करने के लिए प्रदेश सरकार ने सख्त कदम उठाते हुए कई गाइडलाइन जारी की है. धीरे-धीरे नकल माफिया पर शिकंजा कसने लगा तो बाहरी प्रदेशों से आने वाली परीक्षार्थियों की संख्या भी घटने लगी. साल 2023 में दूसरे प्रदेशों के परीक्षार्थियों की संख्या घटकर 5135 ही रह गई है. इससे एक बात तो साफ हो गई की नकल माफिया पर बढ़ते शिकंजे की वजह से संख्या में कमी आई है.

यूपी बोर्ड की परीक्षा के संबंध में प्रमुख सचिव माध्यमिक और बेसिक शिक्षा दीपक कुमार और निदेशक स्कूल शिक्षा विजय किरन आनंद ने गूगल मीट करते हुए परीक्षा संबंधी अधिकारियों को निर्देश दिया कि परीक्षा शुरू होने से खत्म होने तक सख्त निगरानी में करने के निर्देश दिए हैं. यही नहीं परीक्षा में किसी प्रकार की हीला हवाली भी बर्दाश्त नहीं करने की बात कही गई है.

आकड़ों के जरिए समझिए दूसरे प्रदेश के बोर्ड के 10वीं मे रजिस्ट्रेशन की संख्या
साल 2023 में 5,135 ( में से 31,16,487)
साल 2022 में 38,775 (में से 27,81,654)
साल 2021 में 36,312 (में से 29,94,312)
साल 2020 में 52,571 (में से 30,24,514)

मिशन विजय

Mission Vijay Hindi News Paper Sultanpur, U.P.

सुलतानपुर 23 अगस्त/वित्तीय समावेशन संतृप्ति अभियान के तहत बैंक ऑफ़ बड़ौदा सुलतानपुर व वाराणसी कार्यालय द्वारा ग्राम पंचायत स्तरीय तक पहुंच बनाने हेतु जन सुरक्षा संतृप्ति शिविर का आयोजन किया गया। शिविर के मुख्य अतिथि सचिव, वित्तीय सेवाएं विभाग, वित्त मंत्रालय, भारत सरकार श्री एम. नागराजू द्वारा दीप प्रज्ज्वलित कर कार्यक्रम का शुभारम्भ किया गया। इस अवसर पर बैंक ऑफ़ बड़ौदा के प्रबंध निदेशक एवं मुख्य कार्यकारी अधिकारी डॉ. देबदत्त चांद, महाप्रबंधक विमल कुमार नेगी, अंचल प्रमुख शैलेन्द्र कुमार सिंह, मुख्य विकास अधिकारी अंकुर कौशिक, प्रशिक्षु आईएएस रिदम आनन्द सहित अन्य सम्बन्धित अधिकारीगण एवं बैंक ऑफ बड़ौदा समूह के अधिकारी/कर्मचारीगण, स्वयं सहायता समूह के सदस्य आदि मौजूद रहे।  
          मुख्य विकास अधिकारी महोदय द्वारा मुख्य अतिथि सचिव, वित्तीय सेवाएं विभाग, वित्त मंत्रालय, भारत सरकार का पुष्पगुच्छ व ओ.डी.ओ.पी. उत्पाद मोमेंटो देकर स्वागत किया गया। पल्लवी नाट्य संस्थान के कलाकारों द्वारा सांस्कृतिक कार्यक्रम प्रस्तुत किया गया।
         तत्पश्चात कार्यक्रम के शुभारम्भ अवसर पर मुख्य अतिथि वित्त मंत्रालय के सचिव एम. नागराजू ने कहा कि इस कार्यक्रम का उद्देश्य वित्तीय समावेशन योजनाओं पीएमजेजेबीवाई, पीएमएसबीवाई और एपीवाई, पीएमजेडीवाई, खाता खोलने, नामांकन के महत्व, पुनः-केवाईसी और डिजिटल धोखाधड़ी की रोकथाम के लिए सुरक्षित बैंकिंग प्रथाओं के बारे में जागरूकता पैदा करना है। उन्होंने कहा कि बैंकिंग सेवाओं तक निर्बाध पहुंच और धोखाधड़ी की रोकथाम सुनिश्चित करने के लिए समय-समय पर जनजागरूकता कार्यक्रम आयोजित किये जाते हैं। उन्होंने कहा कि जनधन खातों के अन्तर्गत बहुत बड़ी संख्या में अभी तक लोगों द्वारा ईकेवाईसी व नॉमिनी आदि का अंकन नहीं किया गया है। कार्यशाला के माध्यम से वित्तीय समावेशन का  जनजागरूकता  अभियान चलाकर आम जनमानस तक बैंकिंग सेवाओं की पहंुच बढ़ाना है तथा लोगों को आर्थिक रूप से सशक्त बनाना है।
        वित्त सचिव महोदय ने बताया कि इस शिविर के माध्यम से अब तक देश की 60 प्रतिशत ग्राम पंचायतों को कवर कर लिया गया है, अब तक 21 लाख  लोगों का प्रधानमंत्री जनधन खाता खुल चुका है, 23 लाख लोग पीएम जीवन सुरक्षा योजना, 40 लाख लोग प्रधानमंत्री सुरक्षा बीमा योजना एवं 8.5 लाख लोग अटल पेंशन योजना का लाभ ले रहे है।
        मुख्य विकास अधिकारी महोदय द्वारा अपने सम्बोधन में सभी अतिथियों का आभार व्यक्त करते हुए कहा कि केन्द्र व राज्य सरकार द्वारा संचालित समस्त जनकल्याणकारी योजनाओं का लाभ बैंकों के माध्यम से लोगों तक उपलब्ध कराया जाता है। यहां उपस्थित सभी बैंकों के प्रतिनिधियों द्वारा बैंकिंग सम्बन्धी समस्त सुविधाएं निचले स्तर तक लोगों को उपलब्ध कराना सुनिश्चित किया जाय।
        वित्तीय समावेशन कार्यशाला में बड़ी संख्या में समूह की महिलाओं व् बी.सी. सखियों ने भागीदारी की, मुख्य अतिथि महोदय द्वारा पात्र लाभार्थियों- सीमा देवी को प्रधानमंत्री सुरक्षा बीमा योजना, किरन देवी, मुफीद अहमद, दीपक कुमार, अजीत कुमार मिश्रा को पीएमजेजेबीवाई योजनान्तर्गत 2-2 लाख रुपये का चेक वितरित किया गया। इसी प्रकार राष्ट्रीय ग्रामीण आजीविका मिशन के अन्तर्गत संचालित स्वयं सहायता समूह- प्रधान महिला जय बजरंगबली, शिव शक्ति, मॉ काली प्रेरणा को 6-6 लाख रुपए का चेक वितरित किया गया।

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