इटावा परिवहन विभाग के पांच कर्मचारी निलंबित, चोरी के वाहनों का कराते थे रजिस्ट्रेशन
इटावा में चोरी के वाहनों का पंजीकरण करने पर संभागीय परिवहन विभाग के एक राजस्व निरीक्षक व चार लिपिकों की मिलीभगत सामने आई है। विभागीय जांच के बाद इन पांचों कर्मचारियों को निलंबित कर दिया गया है। यह सभी कर्मचारी साल 2015 से 2017 तक इटावा व औरैया जिलों में तैनात रहे हैं।
अब इन सभी तैनाती प्रदेश के अलग-अलग जनपदों में है। परिवहन विभाग के उपायुक्त परिवहन मुख्यालय एमएल चौरसिया, आगरा के उपायुक्त परिवहन जेएस तिवारी ने आरटीओ (रेवेन्यू इंस्पेक्टर) संजय सिंह के साथ 8 जनवरी को मामले की जांच की थी। जांच के दौरान कई पत्रावलियों में खामी पाई गई थीं।
मूल प्रपत्र भी नहीं मिले थे। कई वाहनों के रजिस्ट्रेशन करने के बाद एनओसी जारी करने वाले विभाग को सूचना नहीं दी गई थी। अफसरों के जांच रिपोर्ट शासन को भेजे जाने के बाद कानपुर में तैनात रहे राजस्व निरीक्षक जय सिंह को निलंबित किया गया है। तब उनके पास औरैया का चार्ज था।
लिपिक बेबी उरूसा, प्रभाष कुमार, अमित शुक्ला, प्रदीप कुमार को भी निलंबित किया गया है। इन सभी लोगों की भूमिका जांच टीम ने कहीं न कहीं संदिग्ध पाई है। एआरटीओ बृजेश कुमार ने बताया कि जांच रिपोर्ट के आधार पर परिवहन आयुक्त ने एक राजस्व निरीक्षक व चार लिपिकों को निलंबित कर दिया है।
इनमें बेबी उरूसा पहले से ही निलंबित चल रही है। उसके खिलाफ एक मामले में मार्च 2018 में रिपोर्ट दर्ज हुई थी। इस मामले वह जमानत पर है। आरोपी प्रदीप इस वक्त मुजफ्फर नगर आरआई जय सिंह लखनऊ में तैनात है। बाकी के बारे में जानकारी नहीं है।
क्या मामला हैं
सिविल लाइंस थाना पुलिस ने जनवरी पहले सप्ताह में चोरी के वाहनों का पंजीकरण कराने वाले गैंग का खुलासा किया था। चोरी के 46 वाहन भी पकड़े गए थे। इनमें लखनऊ, कानपुर, शाहजहांपुर व झांसी के नंबर वाले वाहन शामिल थे। इन चोरी के वाहनों का परिवहन विभाग के कर्मचारियों की मिली भगत से पंजीकरण कर दिया गया था।
इन 46 वाहनों में लखनऊ का एक, झांसी का एक, शाहजहांपुर का एक, कानपुर का एक, इटावा के छह व 36 औरैया जनपद के वाहन थे। यह सभी वाहन वर्ष 2015 से 2017 के बीच पंजीकृत हुए थे। विभाग ने वाहनों के चेसिस नंबर निर्माता कंपनियों से प्रमाणित कराए थे।