हाईकोर्ट ने योगी सरकार से किया जवाब-तलब प्राथमिक विद्यालय में टीईटी की अनिवार्यता कब से हुई
इलाहाबाद हाईकोर्ट ने प्रदेश सरकार से पूछा है कि प्राथमिक विद्यालयों में शिक्षकों की नियुक्ति के लिए शिक्षक पात्रता परीक्षा कब से अनिवार्य हुई है? इसकी जानकारी सरकार मुहैया कराए। कोर्ट ने इस संबंध में याची और सरकारी अधिवक्ता से पूर्व में निर्धारित… प्रयागराज: इलाहाबाद हाईकोर्ट ने प्रदेश सरकार से पूछा है कि प्राथमिक विद्यालयों में शिक्षकों की नियुक्ति के लिए शिक्षक पात्रता परीक्षा कब से अनिवार्य हुई है? इसकी जानकारी सरकार मुहैया कराए। कोर्ट ने इस संबंध में याची और सरकारी अधिवक्ता से पूर्व में निर्धारित किए गए कानूनों का विवरण जानना चाहा है। कोर्ट ने यह आदेश यूपी सरकार की ओर से दाखिल विशेष अपील पर सुनवाई करते हुए दिया है। मामले में राज्य सरकार ने एकल पीठ के फैसले को चुनौती दी थी। एकल पीठ ने प्रतिवादियों (शिक्षकों) की नियुक्ति को सही ठहराते हुए उन्हें वेतन दिए जाने का आदेश पारित किया था। राज्य सरकार की ओर से पेश हुए अधिवक्ता ने तर्क प्रस्तुत करते हुए कहा कि मुरादाबाद के वित्त पोषित प्राथमिक विद्यालय में प्रतिवादियों/ शिक्षकों की नियुक्ति संसद द्वारा पास किए गए बिल शिक्षा के अधिकार के तहत राष्ट्रीय अध्यापक शिक्षा परिषद (एनसीटीई) की तरफ से 23 अगस्त 2010 को जारी अधिसूचना के बाद हुई है। प्रतिवादी शिक्षक अगस्त 2012 में नियुक्त किए गए थे। आगे यह भी कहा गया कि उस समय एनसीटीई की ओर से जारी अधिसूचना पूरे देश में लागू होने के साथ प्रदेश सरकारों पर बाध्य थी। इसलिए प्रदेश में भी वेतन दिया जाए। उसी समय से जरूरी कर दिया गया था। उस समय प्रतिवादी शिक्षक टीईटी पास नहीं थे। अतः ये बतौर शिक्षक नहीं नियुक्त किए जा सकते थे। इनकी नियुक्ति अवैध है। इसलिए बीएसए, मुरादाबाद ने इनके आवेदन के अनुमोदन को मना कर दिया था। एकल पीठ ने 20 जून 2022 को अपने आदेश में इन तथ्यों को ध्यानपूर्वक न देखते हुए एकतरफा आदेश पारित कर दिया था। जवाब में प्रतिवादियों/शिक्षकों के अधिवक्ता की तरफ से कहा गया कि प्रदेश सरकार ने प्राथमिकी विद्यालयों में शिक्षकों की नियुक्ति की अनिवार्यता के लिए आठ अप्रैल 2013 को शासनादेश जारी किया था। प्रतिवादियों की नियुक्ति उसके पहले ही हो चुकी थी। इसके अलावा सरकार ने शिक्षकों को टीईटी पास करने के लिए बार-बार समय भी दिया था। अब वर्तमान में ये प्रतिवादी / शिक्षक टीईटी पास है। लिहाजा, इन्हें शिक्षक मानते हुए वेतन दिया जाए। इस पर सरकारी अधिवक्ता ने कहा कि सरकार ने उन शिक्षकों को टीईटी पास करने का समय दिया, जिनकी नियुक्ति एनसीटीई की जारी अधिसूचना से पहले की हुई है और अधिसूचना जारी होने के बाद नियुक्त होने वाले शिक्षकों को नहीं दी गई है। अंत में कोर्ट ने मामले को गंभीरता से लेते हुए प्रदेश सरकार से इस संदर्भ में जवाबी हलफनामा दाखिल करने के लिए कहा है।