इलाहाबाद हाई कोर्ट ने जान-पहचान के लोगों को सरकारी वकील बनाने पर सवाल उठाए जिसे बनाना हो बनाएं,पर ठेकेदारों और दुकानदारों को तो सरकारी वकील न बनाएं- बिफरा इलाहाबाद हाईकोर्ट तो AG ने मांगी मोहलत
इलाहाबाद हाईकोर्ट ने योगी सरकार पर तल्ख टिप्पणी की और कहा कि ऐसे लोगों को सरकारी वकील न बनाएं, जिन्होंने कभी वकालत न की हो।
जिसे बनाना हो बनाएं, पर ठेकेदारों और दुकानदारों को तो सरकारी वकील न बनाएं- बिफरा इलाहाबाद हाईकोर्ट तो AG ने मांगी मोहलत
इलाहाबाद हाईकोर्ट ने यूपी सरकार पर तीखी टिप्पणी करते हुए कहा है कि कम से कम दुकानदारों, ठेकेदारों और जान पहचान वाले लोगों को सरकारी वकील नियुक्त न करें, बल्कि ऐसे लोगों को वकील बनाएं जिन्हें कानून की समझ हो और वकालत की हो, ताकि कम से कम ढंग से सरकार का पक्ष रख सकें। हाईकोर्ट ने कहा कि यह न तो किसी सरकार या संस्था के लिए अच्छा है कि सिर्फ किसी शख्स को इसलिए वकील नियुक्त कर दें कि वह कोई जानामाना व्यक्ति है, ठेकेदार है या दुकानदार है और कभी कानून की प्रैक्टिस की ही नहीं।
इलाहाबाद हाईकोर्ट की डिवीजन बेंच के जस्टिस सुनील कुमार और जस्टिस राजेंद्र कुमार ने कहा कि कोर्ट को इस बात से कोई फर्क नहीं पड़ता कि सरकार, किसे वकील बनाती है। अगर सरकार कुछ लोगों को वजीफा देना चाहती है तो दे सकती है, लेकिन कोर्ट में कम से कम ऐसे लोगों को भेजे जो सरकार का पक्ष रख सकें। Law Trend की एक रिपोर्ट के मुताबिक हाईकोर्ट राजेश्वर सिंह की याचिका पर सुनवाई कर रहा था।
AG ने मांगी हाईकोर्ट से मोहलत
उत्तर प्रदेश सरकार के एडवोकेट जनरल अजय कुमार मिश्रा ने कोर्ट को बताया कि सरकार वकीलों की लिस्ट की समीक्षा कर रही है और इस काम को पूरा करने के लिए 6 सप्ताह का समय मांगा।
AG ने बताया कि वकीलों का पैनल बनाने के लिए सुप्रीम कोर्ट और हाईकोर्ट की गाइडलाइन है। इसमें से तमाम बिंदुओं को लागू किया गया है। आपको बता दें कि कोर्ट ने एडवोकेट जनरल को वकीलों का पैनल बनाने के लिए निर्धारित क्राइटेरिया की जानकारी लेने के लिए समन किया था।
हाईकोर्ट ने और क्या-क्या कहा?
हाईकोर्ट ने कहा कि वकीलों की नियुक्ति प्रक्रिया पूरी तरह पारदर्शी होनी चाहिए और सिर्फ ऐसे ही लोगों को नियुक्त किया जाना चाहिए जिन्होंने कोर्ट में प्रैक्टिस की हो। ऐसे लोगों को सरकारी वकील न बना दें जो घर में बैठे हैं। कोर्ट ने सरकार को सलाह दी कि ऐसे लोगों को कतई नियुक्त न करें जिसने कभी वकालत न की हो।