मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ जल्द ही परिणाम की तारीख घोषित करेंगे उत्तर प्रदेश सरकार माध्यमिक शिक्षा परिषद (यूपी बोर्ड) के 56 लाख छात्र-छात्राओं का हाईस्कूल और इंटरमीडिएट का रिजल्ट आने वाला है
यूपी बोर्ड के 56 लाख छात्र-छात्राओं का हाईस्कूल और इंटरमीडिएट का रिजल्ट आने वाला है। उत्तर प्रदेश सरकार माध्यमिक शिक्षा परिषद के 56 लाख छात्र-छात्राओं का हाईस्कूल और इंटरमीडिएट का रिजल्ट आने वाला है। जल्द ही मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ परिणाम की तारीख घोषित करेंगे। कोरोना की दूसरी लहर की वजह से पहली बार बिना परीक्षा का परिणाम आएगा। जल्द ही मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ परिणाम की तारीख घोषित करेंगे। कोरोना की दूसरी लहर की वजह से पहली बार बिना परीक्षा का परिणाम आएगा। वैसे तो दोनों कक्षाओं के रिजल्ट का फार्मूला सार्वजनिक है और फेल कोई होगा नहीं। ऐसे में रिजल्ट को लेकर छात्र-छात्राओं का कौतूहल कॉलेजों पर टिका है, क्योंकि पिछली परीक्षाओं में मिले अंक कॉलेजों ने ही वेबसाइट पर दर्ज किए हैं और यही अंक परिणाम का आधार होंगे।
यूपी बोर्ड की वर्ष 2021 की हाईस्कूल व इंटरमीडिएट परीक्षा के छात्रों का मूल्यांकन फार्मूला बीती 20 जून को ही तय कर चुकी है। इसमें इंटरमीडिएट के छात्रों का परीक्षाफल बनाने में हाईस्कूल के 50 प्रतिशत, कक्षा 11 की वार्षिक और अर्द्धवार्षिक परीक्षा के 40 और कक्षा 12 की प्री-बोर्ड परीक्षा के 10 फीसद अंक जोड़े गए हैं। वहीं, हाईस्कूल परीक्षाफल के लिए कक्षा नौ और कक्षा 10 की प्री-बोर्ड परीक्षा के 50-50 प्रतिशत अंक जोड़कर परिणाम लगभग तैयार हो गया है। आमतौर पर अर्द्धवार्षिक व प्रीबोर्ड परीक्षा के अंकों को छोड़कर हर विद्यार्थी के पास पिछली परीक्षाओं के परिणाम हैं। वे उपलब्ध रिपोर्ट कार्ड के आधार पर मिलने वाले अंक जोड़ रहे हैं, लेकिन अंतिम रिजल्ट के अंकों का अनुमान ही लगा पा रहे हैं।
यूपी बोर्ड मुख्यालय पर हाईस्कूल व इंटरमीडिएट को छोड़कर अन्य परीक्षाओं के अंक नहीं आते थे, इसलिए कॉलेजों की ओर से दिए गए अंकों पर ही सभी निर्भर हैं। हालांकि कोरोना काल से बोर्ड ने भी सबक सीखा है और अब हर परीक्षा के अंक भेजे जाने के निर्देश जारी हो चुके हैं। परिणाम तैयार करने में ऐसे भी विद्यार्थी मिले हैं जिनका पिछला पूरा शैक्षिक रिकॉर्ड नहीं मिल सका है, उन्हें सामान्य तौर पर प्रमोट करने की तैयारी है। हालांकि तय फार्मूला सभी छात्र-छात्राओं पर फिट नहीं हो रहा था, इसलिए रिजल्ट बनाने में देरी हुई। अन्यथा यूपी बोर्ड लिखित परीक्षा शुरू होने के दो माह में ही रिजल्ट जारी करता रहा