वोट प्राप्त करने लिए नहीं की जा सकती है जाति या साम्प्रदायिक भावनाओं की अपील निर्वाचन प्रचार-प्रसार के लिये धार्मिक स्थलों का उपयोग नहीं होगा
सुल्तानपुर 02 फरवरी। निर्वाचन सम्बन्धी प्रचार-प्रसार के सम्बन्ध में भारत निर्वाचन आयोग की ओर से व्यवस्था दी गयी है कि निर्वाचन के प्रचार-प्रसार के दौरान कोई भी दल या उम्मीदवार धार्मिक स्थानों यथा मन्दिर, मस्जिद, गिरजाघर, गुरूद्वारा या अन्य पूजा स्थलों जैसे धार्मिक स्थलों का प्रयोग निर्वाचन प्रचार-प्रसार के लिये मंच के रूप में नहीं करेगा। अग्रतर यह कि मत प्राप्त करने के लिये जाति या साम्प्रदायिक भावनाओं की अपील भी नहीं की जायेगी।
आयोग द्वारा जारी दिशा निर्देशों के अनुसार कोई भी दल या उम्मीदवार ऐसे किसी क्रियाकलाप में संलिप्त नहीं होगा जिससे विद्यमान मनमुटाव में वृद्धि होने की संभावना हो या पारस्परिक धृणा उत्पन्न होने की संभावना हो या विभिन्न जातियों और सम्प्रदायों के मध्य धार्मिक या भाषायी तनाव उत्पन्न होने की संभावना हो। अग्रतर यह कि जब भी अन्य राजनैतिक दलों की आलोचना की जाय तब उनकी आलोचना, उनकी नीतियों और कार्यक्रमों के पूर्व कारनामों और कार्यो तक सीमित रहनी चाहिए। राजनैतिक दलों और उम्मीदवारों को निजी जीवन के ऐसे समस्त पहलुओं पर आलोचना करने से बचना होगा जो अन्य दलों के नेताओं और कार्यकर्ताओं के सार्वजनिक क्रियाकलापों से सम्बन्धित न हों। अपुष्ट आरोपों या तोड़-मरोड़ वाले बयानों पर आधारित अन्य दलों या उनके कार्यकर्ताओं की आलोचना किये जाने से बचना होगा।
चुनाव प्रचार के प्रयोजनों के लिए वाहनों के संचालन के सम्बन्ध में आयोग द्वारा स्पष्ट किया गया है कि उम्मीदवार किसी भी संख्या में वाहनों (दो पहिया वाहन सहित समस्त मैकानाइज़्ड/मोटोराइज़्ड वाहन) का संचालन, निर्वाचन के प्रचार-प्रसार के लिये करा सकते हैं