पशु मेलों पर रोक, अंतरराज्यीय पशु परिवहन पर प्रतिबंध,पशु सुरक्षा के लिए योगी ने दिए निर्देश
मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने मंगलवार को लोकभवन में कोविड संक्रमण, लंपी वायरस से बचाव और महिला व बाल अपराधों की समीक्षा की और अफसरों को आवश्यक दिशा-निर्देश दिए।
पशुओं को लंपी वायरस से बचाने के लिए सरकार मिशन मोड में आ गई है। सीएम योगी आदित्यनाथ ने पशु मेलों पर रोक लगा दी है। साथ ही दूसरे राज्यों से उप्र में पशु लाने पर भी प्रतिबंध लगा दिया गया है। मुख्यमंत्री ने मंगलवार को लोकभवन में एक उच्चस्तरीय बैठक में लंपी स्किन डिजीज (एलएसडी) बीमारी की प्रदेश में स्थिति की समीक्षा की। बताया गया कि हाल के दिनों में गोवंश पर लंपी वायरस का दुष्प्रभाव देखने को मिला है। इस संक्रमण के कारण कई राज्यों में व्यापक पशुधन हानि हुई है।
सीएम ने कहा कि प्रदेश में इसके प्रसार को रोकने के लिए हमें मिशन मोड में काम करना होगा। स्थिति सामान्य होने तक प्रदेश में पशु मेलों का आयोजन स्थगित रखा जाए। अंतरराज्यीय पशु परिवहन पर रोक लगाई जाए। पशुपालकों को संक्रमण के लक्षण और उपचार के बारे में पूरी जानकारी दी जाए। गोआश्रय स्थलों में अनावश्यक लोगों का प्रवेश प्रतिबंधित कर दिया जाए। साथ ही पशु टीकाकरण का विशेष अभियान चलाया जाना जरूरी है। टीके की उपलब्धता के लिए भारत सरकार से भी सहयोग प्राप्त होगा।
मक्खी मच्छर से फैलता है लंपी
लंपी को एक पशु में से दूसरे में पहुंचाने केवाहक मक्खी और मच्छर हैं। यह इन्हीं से फैलता है। सीएम ने कहा कि ऐसे में ग्राम्य विकास, नगर विकास और पशुपालन विभाग परस्पर समन्वय कर गांव व शहरों में विशेष स्वच्छता अभियान चलाएं। संक्रमित पशु की मृत्यु की दशा में अंतिम क्रिया पूरे मेडिकल प्रोटोकॉल का साथ कराई जाएं। किसी भी दशा में संक्रमण का प्रसार न हो।
लंपी बीमारी के लक्षण
पशु केशरीर का तापमान 106 डिग्री फॉरेनहाइट हो जाता है और पशु खाना पीना कम कर देता है। चेहरे, गर्दन, थूथन, पलकों समेत पूरे शरीर में गोल उभरी हुई गांठें पड़ जाती हैं। फेफड़ों में संक्रमण के कारण निमोनिया, पैरों में सूजन, लंगड़ापन, नर पशु में काम करने की क्षमता में कमी आ जाती हैं। बछड़े को मां से संक्रमण हो सकता है। देशी नस्ल केपशुओं की तुलना में क्रास ब्रीड में इसका असर ज्यादा होता है क्योंकि उनकी त्वचा पतली होती है। सांडों के सीमन से भी यह वायरस दूसरे पशु में जा सकता है।
इस तरह नियंत्रण करें
इस बीमारी से प्रभावित पशु को अन्य पशुओं से अलग करें। मक्खी, मच्छर, जूं आदि को मारें। बीमारी ग्रस्त पशु की मृत्यु को खुला न छोड़ें। उसके जमीन में दबा दें और पूरे क्षेत्र में कीटाणुनाशक दवाओं से सफाई करें। गॉट पॉक्स वैक्सीन (लाइव एटेन्यूसड वायरस वैक्सीन) का उपयोग किया जा सकता है लेकिन केवल स्वस्थ पशु में। पशु की इम्युनिटी बढ़ाने की दवाएं मल्टी विटामिन आदि दिएं जाएं।
टीमों ने गांव गांव काम शुरू किया
पशुधन विभाग के निदेशक डा. इंद्रमणि के मुताबिक वह खुद इस बीमारी का हाल जानने के लिए पश्चिमी उप्र में निकले हैं। मेरठ, बागपत, शामली, सहारनपु, को बिजनौर, रामपुर आदि में स्थिति देखी है। बीमारी अंडर कंट्रोल है। सभी गांवों में टीमें अलर्ट हो गई हैं।