लापरवाही: एक अक्षर की नासमझी दे सकती है जिंदगी भर का दर्द, जा चुकी है एक मासूम की जान
स्पष्ट आदेश है कि डॉक्टर कैपिटल लेटर में दवाओं का नाम लिखें पर इसका पालन नहीं किया जा रहा है। वहीं, मेडिकल स्टोर पर फार्मासिस्ट न होने से गलती की आशंका बढ़ जा रही है। बीते दिनों एक मासूम की जान भी जा चुकी है।
नुक्ते के हेरफेर से खुदा, जुदा हो जाता है, ये तो आपने सुना होगा। अगर दवाएं लेने जा रहे हैं तो इस कहावत को जेहन में जरूर रखें, अन्यथा एक अक्षर की नासमझी जिंदगी भर का दर्द दे सकती है। पर्चे पर डॉक्टर की खराब हैंडराइटिंग और मेडिकल स्टोर पर मौजूद अप्रशिक्षित फार्मासिस्ट की उसे पढ़ते समय कुछ और समझ लेने की चूक ऐसे खतरे को बढ़ा देती है। ऐसे ही एक मामले में तीन दिन पहले छह साल के एक मासूम की जान चली गई। इस मामले में मेडिकल स्टोर से बच्चे के अभिभावक को सिरप के बजाय इंजेक्शन थमा दिया था। इंजेक्शन लगाते ही मासूम की मौत हो गई थी।
लिखी गई दवा से किसी को नुकसान न हो, इसके लिए सरकार की ओर से कई निर्देश हैं। इसके तहत अनिवार्य रूप से सभी मेडिकल स्टोर पर दवा की खरीद और बिक्री पंजीकृत फार्मासिस्ट की निगरानी में ही होनी चाहिए। इसके बावजूद एफएसडीए के निरीक्षण के दौरान अक्सर मेडिकल स्टोर पर फार्मासिस्ट नहीं मिलने की खबरें आती हैं।
दूसरी ओर डॉक्टरों के लिए भी निर्देश है कि वे दवाओं के नाम कैपिटल लेटर में लिखेंगे। इससे मेडिकल स्टोर पर मौजूद स्टाफ को दवा का नाम पढ़ने में आसानी होगी और गलती होने की आशंका खत्म होगी। बहरहाल इन दोनों का ही पालन नहीं हो रहा है। नतीजा यह है कि दवाओं के मिलते-जुलते नाम मरीजों के लिए घातक साबित हो रहे हैं।
आसान शब्दों में समझें एक अक्षर के अंतर से कैसे हो सकता है अर्थ का अनर्थ
उदाहरण 1: डाइकालिस (dicalis) का उपयोग मल्टी विटामिन सप्लीमेंट के तौर पर होता है। वहीं दूसरी दवा है डाइकारिस ( dicaris)। इस दवा का उपयोग कीड़े मारने में किया जाता है। त्वचा पर संक्रमण के मामलों में भी यह दवा दी जाती है। दोनों के नाम में सिर्फ एक अक्षर का ही अंतर है। अंग्रेजी के अक्षर एल के स्थान पर आर आते ही दवा का नाम और इसका प्रभाव पूरी तरह बदल जाता है। डॉक्टर की हैंडराइटिंग या फिर फार्मासिस्ट की समझ में गड़बड़ी होते ही अर्थ का अनर्थ हो सकता है।
उदाहरण 2: डेक्सिन (dexin) का उपयोग बैक्टीरिया के संक्रमण में होता है। आंख में संक्रमण से बचाव के लिए इसका आई ड्रॉप भी आता है। वहीं दूसरी ओर डेपिन (depin) का उपयोग उच्च रक्तचाप के मामलों में किया जाता है। इनके नाम में भले ही अंग्रेजी अक्षर एक्स और पी का अंतर हो, लेकिन दोनों के उपयोग में जमीन आसमान का अंतर है। यहां भी जरा सी चूक मरीज के इलाज के बजाय गंभीर समस्या पैदा कर सकती है।
उदाहरण 3: पेरिनॉर्म (perinorm) का उपयोग उल्टी, मितली और अपच आदि के मामलों में किया जाता है। वहीं दूसरी ओर पायोनॉर्म (pionorm) का उपयोग डायबिटीज के गंभीर मामलों में होता है। दवा की दुकान पर अप्रशिक्षित फार्मासिस्ट केलिए कई बाद इनमें अंतर करना कठिन हो जाता है। इसकी वजह से गंभीर नुकसान होने की आशंका रहती है। अन्य कुछ दवाओं के मिलते-जुलते नाम और उनके प्रभाव
दवाई- उपयोग दवाई- उपयोग
susten gel- अनियमित माहवारी sustane-gel- आई ड्रॉप
amitone-न्यूरोपैथिक पेन m2tone- महिलाओं में हॉर्मोन संतुलन
omen-बीपी omez-गैस
teribicip-फंगल इंफेक्शन tramacip-भीषण दर्द
trifer- आयरन और फॉलिक एसिड triexer-डायबिटीज
ticafo-ब्लड थिनर tadaflo- नपुंसकता और पल्मोनरी हाइपरटेंशन
teleact- हाई बीपी tadact- नसों में खून के बहाव से जुड़ी समस्याओं में
metolor-हाइपरटेंशन meltor-सूजन कम करने के लिए
एक्सपर्ट की राय : शंका होने पर दोबारा करें जांच
केजीएमयू के प्रवक्ता डॉ. सुधीर सिंह के अनुसार अगर मरीज को किसी दवा पर जरा भी शंका होती है तो बिना हिचक किसी फार्मासिस्ट या फिर डॉक्टर से उसके बारे में दोबारा जानकारी लेनी चाहिए। ऐसा करके दवा से होने वाले नुकसान से बचा जा सकता है। कोशिश करें कि भरोसे वाली दुकान से ही दवा खरीदें। यह भी पता लगाएं कि वहां पर दवा फार्मासिस्ट ही देते हैं या नहीं।
डॉक्टर कैपिटल लेटर में ही लिखें दवाएं
सीएमओ डॉ. एमके अग्रवाल का कहना है कि सरकार की ओर से स्पष्ट निर्देश है कि डॉक्टरों को पर्चे पर दवाओं के नाम कैपिटल लेटर में लिखने होंगे। इसका आदेश भेजा जा चुका है। सभी डॉक्टरों को इसका पालन करना चाहिए।
मेडीकल स्टोर पर बगैर फार्मासिस्ट के दवाओं की बिक्री नहीं होनी चाहिए। फार्मासिस्ट के बगैर दवाएं बेचने वाले मेडिकल स्टोर के खिलाफ कार्रवाई की जाती है। इसके लिए बराबर निरीक्षण किया जाता है।