उत्तर प्रदेश में फरारी के बाद एक लाख के इनामी,फिर आराम से सरेंडर और अब आईपीएस मणिलाल पाटीदार को मिल गई बेल… ये कैसी जांच कर रही यूपी पुलिस
उत्तर प्रदेश के महोबा में क्रशर व्यापारी की हत्या के बाद से फरार रहे आरोपी आईपीएस मणिलाल पाटीदार को जमानत मिल गई है। पाटीदार पर महोबा के व्यापारी इंद्रकांत को आत्महत्या के लिए उकसाने, रंगदारी मांगने का आरोप है। कारोबारी का हत्या होने के बाद पाटीदार फरार हो गया था। दो साल तक पुलिस को छकाने के बाद पिछले साल अक्टूबर में उसने आत्मसमर्पण कर दिया था। पुलिस कस्टडी में एसआईटी ने भी उससे काफी पूछताछ की लेकिन उसने अपने आपको निर्दोष बताया। अब एंटी करप्शन कोर्ट ने उसे जमानत दे दी है।
*कहां से शुरू हुआ था मामला*
तीन साल पहले 7 सितंबर 2020 को महोबा के एक क्रशर कारोबारी इंद्रकांत त्रिपाठी ने एक वीडियो सोशल मीडिया पर जारी किया था। इस वीडियो में इंद्रकांत ने तत्कालीन एसपी मणिलाल पाटीदार और कबरई के तत्कालीन सीओ देवेंद्र शुक्ला पर वसूली का आरोप लगाया था। उन्होंने कहा था कि इन पुलिस अधिकारियों ने उनसे 6 लाख रुपये की रिश्वत मांगी है। इतना ही नहीं, उन्होंने दोनों से अपनी जान को खतरा भी बताया था। उन्होंने इस संबंध में मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ को पत्र भी भेजे थे। इस आरोप के बाद योगी सरकार ने महोबा के एसपी मणिलाल पाटीदार को भ्रष्टाचार के आरोप में निलंबित कर दिया।
पाटीदार के निलंबन के 24 घंटे के भीतर 8 सितंबर को इंद्रकांत त्रिपाठी को किसी ने गोली मार दी। उनकी गाड़ी कबरई से चार किलोमीटर दूर सड़क के किनारे मिली थी, जिसमें त्रिपाठी घायल अवस्था में मिले थे। उनके गले पर पीछे से गोली मारी गई थी। 13 सितंबर को क्रशर कारोबारी इंद्रकांत त्रिपाठी की कानपुर रीजेंसी में मौत हो गई। उनके भाई रविकांत त्रिपाठी ने पूर्व एसपी पाटीदार समेत चार लोगों के खिलाफ कबरई थाने में मुकदमा दर्ज कराया था। इनमें मुख्य आरोपी मणिलाल पाटीदार, बर्खास्त दारोगा देवेंद्र शुक्ला, बर्खास्त सिपाही अरुण यादव और कारोबारी सुरेश सोनी तथा ब्रह्मदत्त शामिल हैं। अरुण यादव का नाम एसआईटी ने अपनी जांच के दौरान बाद में जोड़ा।
खाक छानती रही पुलिस
इस घटना के बाद से ही मणिलाल पाटीदार फरार हो गया। पुलिस उसे तलाशने के लिए तमाम जगहों की खाक छानती रही। छापेमारी करती रही लेकिन पाटीदार हाथ न आया। इस दौरान पुलिस ने उसके खिलाफ एक लाख रुपये का ईनाम भी घोषित कर दिया। इस बीच घटना के दो साल बाद 15 अक्टूबर 2022 को अचानक से पाटीदार ने लखनऊ की एक अदालत में सरेंडर कर दिया। आधी रात को ही उसे पूछताछ के लिए महोबा लाया गया। बंद कमरे में पांच घंटों तक पाटीदार से पूछताछ होती रही। इस दौरान उसने अपने ऊपर लगे सभी आरोपों को निराधार बताया था। पाटीदार की निशानदेही पर पुलिस ने उसका फोन भी बरामद कराया और फिर जांच टीम उसे लेकर लखनऊ चली गई।
*परिवार ने पुलिस की जांच पर उठाए सवाल*
पाटीदार से बंद कमरे में पूछताछ पर इंद्रकांत त्रिपाठी के परिवार ने भी सवाल उठाए थे। उन्होंने कहा कि अगर पुलिस रात की बजाय दिन में पाटीदार को लाती और उन लोगों के सामने पूछताछ करती तो बहुत सी बातें खुलकर सामने आतीं। उन्होंने आरोप लगाया कि पुलिस की मंशा इस मामले में सही नहीं है। इंद्रकांत के एक कारोबारी साथी ने यह सवाल भी उठाया था कि इंद्रकांत के पास से जो डायरी और फाइल गायब हुई थी, वह कबरई थाने से पुलिस ने ही हटवा दिया था। उन्होंने दावा किया था कि उस फाइल में पुलिस की वसूली को लेकर सच्चाई छिपी हो सकती है। हालांकि, इसे लेकर थाने की ओर से कहा गया कि वह डायरी सही समय पर कोर्ट में पेश की जाएगी। परिवार ने एसआईटी की जांच पर भी सवाल उठाए थे और इसे निराशाजनक बताया था।
*समय पर चार्जशीट न होने से मिली बेल*
मुश्किल से पुलिस की गिरफ्त में आया मणिलाल पाटीदार एक बार फिर आजाद हो गया है। इसके पीछे भी पुलिस की लापरवाही सामने आ रही है। ऐंटी करप्शन कोर्ट ने पाटीदार को जमानत दे दी है और इसका कारण गिरफ्तारी के तय दिन के अंदर चार्जशीट दाखिल न हो पाना बताया है। पाटीदार को 29 अक्टूबर 2022 को न्यायिक हिरासत में लिया गया था। इसके बाद 27 दिसंबर 2022 तक पाटीदार के खिलाफ चार्जशीट दाखिल होनी चाहिए थी लेकिन जब यह चार्जशीट दाखिल नहीं की गई तो 6 जनवरी को पाटीदार की ओर से जमानत अर्जी दाखिल की गई।
इस पर फैसला सुनाते हुए कोर्ट ने उसे एक -एक लाख रुपए की दो जमानत और एक लाख के मुचलके दाखिल करने पर रिहा करने का आदेश जारी कर दिया। इस तरह से दो साल तक पुलिस को छकाने के बाद हाथ आया आरोपी पाटीदार समय पर चार्जशीट दाखिल न हो पाने के कारण जेल से रिहा हो गया।