अयोध्या /साकेत महाविद्यालय में शिक्षकों को पानी की जगह पिला दिया तेजाब, चार की बिगड़ी हालत

अयोध्या में साकेत महाविद्यालय के चतुर्थ श्रेणी कर्मचारी ने पीने के लिए पानी मांगने पर शिक्षकों को पानी की जगह पर तेजाब पिला दिया। शिक्षकों ने एक घूंट ली तुरंत उन्हें अहसास हुआ कि यह पानी नहीं बल्कि कुछ और है। तेजाब पीने वाले चार शिक्षकों की हालत बिगड़ने पर उन्हें मेडिकल कॉलेज दर्शननगर में भर्ती कराया गया। जहां इलाज व जांच के बाद उन्हें घर भेज दिया गया है। बताया गया कि तेजाब पीने वाले चार शिक्षकों में से एक की हालत ज्यादा खराब है।
शिक्षकों ने भी पानी समझकर पी लिया लेकिन एक घूंट पीते ही उन्हें अहसास हुआ कि यह पानी नहीं तेजाब है। इसके बाद हड़कंप मच गया। शिक्षकों ने श्रीराम अस्पताल जाकर जांच कराई। चिकित्सकों ने इंजेक्शन लगाया और जांच की। जिसके बाद सभी घर चले गये। रात में चारों शिक्षकों की हालत खराब होने लगी। गुरुवार सुबह सभी शिक्षक दर्शननगर मेडिकल कॉलेज पहुंचे। चिकित्सकों ने इंडोस्कोपी के जरिए शिक्षकों की जांच की तो पाया कि तेजाब पीने के कारण डॉ. सुधीर राय व डॉ. मुजफ्फर मेंहदी के अंदर के अंग 15 प्रतिशत जल चुके हैं। डॉ. अशोक राय को करीब 60 प्रतिशत नुकसान हुआ है।
कॉलेज प्रशासन पर सवाल
सवाल यह है कि कॉलेज में जहां पीने के लिए पानी रखा जाता है क्या वहां तेजाब भी रखा गया था। अगर ऐसा था तो किसी लापरवाही है। किसने वहां पर तेजाब रखा। इस बारे में कॉलेज प्रशासन कुछ नहीं बोल रहा है। अगर अनजाने में कोई छात्र तेजाब पी लेता तो किसकी जिम्मेदारी होती। क्या चंद्रप्रकाश सिंह को पानी और तेजाब में अंतर नहीं पता। तेजाब की गंध तेज होती है उसके पास जाते ही अंदाजा लग जाता है। फिर उसने पानी की जगह तेजाब गिलास में भरकर कैसे दे दिया।
प्राचार्य कह रहे, अनजाने में पिलाया
कर्मचारी द्वारा की गई घोर लापरवाही के सवाल पर साकेत महाविद्यालय के प्राचार्य डॉ. अभय कुमार सिंह का कहना है कि कर्मचारी ने जान-बूझकर ऐसा नहीं किया है। गलती से उसने पानी समझकर तेजाब गिलास में भरकर दे दिया होगा। शिक्षकों की हालत ठीक है, कोई चिंताजनक बात नहीं है।
कर्मचारी के विरुद्ध कार्रवाई के सवाल पर कहा कि जब उसने जानबूझकर ऐसा नहीं किया तो कार्रवाई की जरूरत नहीं है। जो भी घटना हुई वह अनजाने में हुई है, फिलहाल इसकी जांच की जा रही है।

मिशन विजय

Mission Vijay Hindi News Paper Sultanpur, U.P.

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