थानेदार ने पुलिस चौकी पर ही चलवा दिया बुलडोजर, एफआईआर का आदेश

माफियाओं पर शिकंजा कसने के लिए सीएम योगी का बुलडोजर लगातार गरज रहा है। यूपी में करोड़ों की संपत्ति जमींदोज कर दी गई है। इस बीच बुलडोजर के दुरुपयोग की खबरें भी आती रहीं। सीएम योगी ने इसे लेकर अधिकारियों को ताकीद भी किया। इसके बाद भी अफसर नहीं चेते हैं।
कानपुर में ऐसा ही मामला सामने आया है। यहां थानेदार ने पुलिस चौकी पर ही बुलडोजर चलवा दिया। पूरा खेल एक दबंग को चौकी की जमीन पर कब्जा दिलाने के लिए किया गया। एसओ की कारस्तानी की शिकायत हुई लेकिन महीनों तक जांच की फाइल दबाए रखी गई।
जांच में इसकी तस्दीक हो गई और तत्कालीन एसओ समेत कई लोगों पर गुपचुप ढंग से रिपोर्ट भी दर्ज कर दी गई। अब दो महीने बाद विवेचक बदला गया तो भेद खुला कि अपनी ही चौकी को बुलडोज कर कब्जा कराने की साजिश में तत्कालीन एसओ समेत फोर्स भी शामिल थी। नामजद एसओ अब इटावा ट्रांसफर हो चुका है।
साढ़ चौकी के थाना बनने के बाद 2/3 नवंबर 2021 को थाना साढ़ के बगल में बनी चौकी पर अचानक बुलडोजर चलने लगा। पुरानी चौकी के इन कमरों को सिपाहियों के आवास के तौर पर इस्तेमाल किया जा रहा था। रिपोर्ट के मुताबिक तौधकपुर निवासी रामकरन सिंह ने बुलडोजर चलवाकर यह कमरे ध्वस्त कराए, उस वक्त तत्कालीन एसओ रवीन्द्र सिंह मौके पर थे।
उन्होंने बुलडोजर नहीं रोका। अधिकारियों को सूचना भी नहीं दी। अन्य सूत्रों से अफसरों को पता चला तो दूसरे थानों की पुलिस भेज कर कब्जा रोका गया। एडीशनल एसपी को सौंपी जांच तत्कालीन एसपी आउटर अष्टभुजा प्रसाद सिंह ने रवीन्द्र सिंह को लाइन हाजिर कर जांच एडीशनल एसपी आदित्य शुक्ला को सौंपी।

उन्होंने 24 दिसम्बर 2021 को रिपोर्ट दी, जिसमें तत्कालीन एसओ रवीन्द्र, रामकरन सिंह और साढ़ थाने के अन्य पुलिस कर्मियों पर रिपोर्ट दर्ज करने की संस्तुति की। एसपी आउटर ने रिपोर्ट दर्ज करने का आदेश दे दिया।

दबा दिया गया आदेश

यह आदेश दबा दिया गया। साढ़े थाने में रवीन्द्र के बाद राजकुमार, फिर मंसूर अहमद एसओ बने पर रिपोर्ट नहीं दर्ज हुई। एसपी आउटर अष्टभुजा ट्रांसफर हो गए। अजीत सिन्हा एसपी बने। उस दौरान भी यह आदेश फाइलों में दबा रहा। तेज स्वरूप सिंह एसपी आउटर बन कर आए तो उन्होंने इस केस की फाइल तलब की। पुराने आदेश देखे तो पता चला कि आज तक यह रिपोर्ट दर्ज ही नहीं हुई।

उन्होंने अधीनस्थों से जवाब तलब किया तो आनन-फानन साढ़ थाने में 21 जून 2022 को तत्कालीन एसओ रवीन्द्र सिंह, कब्जे का प्रयास करने वाले रामकरन सिंह समेत अज्ञात पुलिस कर्मियों पर रिपोर्ट दर्ज कर ली गई। इन सभी पर धारा 448, 406, 166ए, 420, 120 बी और सार्वजनिक सम्पत्ति नुकसान निवारण अधिनियम की धारा 4 और 5 तामील की गई है।
इन गंभीर धाराओं की रिपोर्ट भी पुलिस छिपाए रही, इसे पुलिस की रोजाना ब्रीफिंग में नहीं शामिल किया गया। उधर इसकी विवेचना सीओ घाटमपुर को सौंपी गई पर दो महीने में उन्होंने जांच शुरू ही नहीं की। इस पर एसपी आउटर ने बीते 18 अगस्त को विवेचना उनसे लेकर सीओ सदर संग्राम सिंह को दे दी।
तब इस मामले के बारे में चर्चा शुरू हो गई। एसपी आउटर तेज स्वरूप सिंह के अनुसार घटना गम्भीर है। एडीशनल एसपी की जांच रिपोर्ट दबा दी गई थी। मेरे संज्ञान में आया तो एफआईआर दर्ज कराई। विवेचना और पुलिस कर्मियों की विभागीय जांच सीओ सदर को सौंपी गई है।

उस गलती की सजा मिली, जो की ही नहीं

घटना में आरोपित पूर्व एसओ रवीन्द्र सिंह का ट्रांसफर 30 जून को इटावा हो गया। आपके अपने अखबार हिन्दुस्तान ने उनसे इस बाबत पूछा तो उन्होंने कहा, रामकरन सिंह कोर्ट से आदेश लेकर आया था और पुलिस का कब्जा ढहा दिया। मैं उस वक्त हाईवे पेट्रोलिंग पर था। मुझे उस गलती की सजा मिली, जो मैंने की नहीं।




मिशन विजय

Mission Vijay Hindi News Paper Sultanpur, U.P.

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