जज को सुने बिना कर्नाटक HC ने दे डाला ट्रेनिंग सेंटर भेजने का फरमान, सुप्रीम कोर्ट को पता चला तो पड़ गए लेने के देने
शीर्ष अदालत को ये बात खासी खराब लगी कि हाईकोर्ट ने जज को अपना पक्ष रखने का मौका भी नहीं दिया। फिलहाल हाईकोर्ट के फैसले को खारिज करके एडिशनल डिस्ट्रिक्ट एंड सेशन जज को राहत दी गई है।
सुप्रीम कोर्ट को कर्नाटक हाईकोर्ट का वो फैसला खासा नागवार गुजरा है जिसमें मैसूर के एक एडिशनल डिस्ट्रिक्ट एंड सेशन जज के खिलाफ तीखी टिप्पणी करके उन्हें ट्रेनिंग एकेडमी में भेजने का आदेश दे दिया गया। शीर्ष अदालत को ये बात खासी खराब लगी कि हाईकोर्ट ने जज को अपना पक्ष रखने का मौका भी नहीं दिया। फिलहाल हाईकोर्ट के फैसले को खारिज करके एडिशनल डिस्ट्रिक्ट एंड सेशन जज को राहत दी गई है।
जस्टिस एएस बोपन्ना, जस्टिस पंकज मित्तल की बेंच ने कहा कि हाईकोर्ट का बर्ताव अखरने वाला है। कानून कहता है कि अगर आप किसी के खिलाफ कोई दंडात्मक कदम उठा रहे हैं तो कम से कम उसे अपना पक्ष रखने का मौका तो दीजिए। लेकिन हाईकोर्ट ने इस परिपाटी का ख्याल भी नहीं रखा।
एडिशनल डिस्ट्रिक्ट एंड सेशन जज ने फरवरी 2022 के उस फैसले के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट में फरियाद लगाई थी जिसमें उनके खिलाफ बेहद तीखी टिप्पणी हाईकोर्ट ने की थीं। हाईकोर्ट ने उस याचिका को भी खारिज कर दिया था जिसमें दहेज उत्पीड़न के मामले के आरोपी की जमानत रद करने की मांग की गई थी। हाईकोर्ट का कहना था कि एडिशनल सेशन जज ने दिमाग का इस्तेमाल किए बगैर ही फैसला दे दिया।
हाईकोर्ट ने एडिशनल सेशन जज के खिलाफ की थी बेहद तल्ख टिप्पणी
हाईकोर्ट ने अपनी टिप्पणी में कहा कि एडिशनल जज ने कानूनी नुक्ते समझने की अपनी नजर को भी खो दिया है। वो न्याय करने में भी नाकाम रहे। हाईकोर्ट ने रजिस्ट्री को भी आदेश दे दिया कि वो चीफ जस्टिस से वो आदेश हासिल कर लें जिसके तहत एडिशनल जज को ट्रेनिंग के लिए जूडिशियल अकादमी में भेजा जाना है। एडिशनल सेशन जज ने सारा वाकया सुप्रीम कोर्ट को बताकर न्याय की फरियाद की।
सुप्रीम कोर्ट ने कहा- कम से कम आरोपी को अपना पक्ष तो रखने देते
सुप्रीम कोर्ट को हाईकोर्ट का ये रवैया खासा खराब लगा। डबल बेंच ने हाईकोर्ट के फैसले को खारिज करते हुए कहा कि आदेश पारित करते समय कानूनी समझबूझ का इस्तेमाल भी नहीं किया गया। हम किसी भी आरोपी को उसका पक्ष रखने का मौका देते हैं। तभी कोई फैसला देते हैं। लेकिन हाईकोर्ट ने ऐसा किए बगैर ही एडिशनल सेशन जज को खिलाफ तल्ख टिप्पणी कीं और उसे ट्रेनिंग पर भेजने का आदेश दे डाला।