भ्रष्टाचार की जड़ें मजबूत होने से दम तोड़ रहा है विकास
गांवों के विकास पर केंद्र सरकार कुछ ज्यादा फोकस कर रही है। इसके तहत हर घर में शौचालय की सुविधा देना, घरों को पक्का करना, नल के जरिये जल पहुंचाना, सड़क, सिंचाई, पढ़ाई और दवाई की सुविधा पहुंचाना है। लेकिन, इसकी आड़ में भ्रष्टाचार होने की खबरें भी सामने आ रही हैं।
ग्राम विकास योजनाओं में करप्शन का दीमक तेजी से फैल रहा है। भरोसेमंद सूत्र बताते हैं कि इस संबंध में केंद्र सरकार के विभिन्न मंत्रालयों और खुद प्रधानमंत्री के नाम रोजाना सैकड़ों शिकायतें आती हैं। शिकायतों में बताया जाता है कि किस तरह से प्रधान, सरपंच, सचिव व रोजगार सेवक के अलावा तहसील-ब्लॉक स्तर के अधिकारियों के बीच भ्रष्टाचार का गठजोड़ बना हुआ है। उनका दिल्ली तक सरकारी धन के बंदरबांट करने को लेकर आपसी तालमेल बड़ा मजबूत है। सबका हिस्सा निर्धारित होता है। उनके द्वारा किए जाने वाले भ्रष्टाचार की कोई शिकायत करने की हिम्मत भी करता है तो वह लोग शिकायतकर्ता को फर्जी मामले में फंसा देते हैं। बिना घूस खाए ये भ्रष्टाचारी कीड़े किसी को पक्का मकान, सड़कें, शौचालय आदि सरकारी योजनाओं का लाभ नहीं लेने देते।राज्य सरकारों को ऐसी खबरें रोजाना मिल रही हैं जिसमें यह बताया जा रहा है कि ग्राम पंचायतों में विकास कार्यों के लिए वितरण किए जाने वाले धन पर गांव के प्रधान और तहसील स्तर के ब्लॉक अधिकारी मिलकर डकार रहे हैं। गांव में सड़कें बननी हों या शौचालय सभी में इनका कमीशन तय होता है। हालांकि सरकारों ने इस भ्रष्टाचार को रोकने के लिए कुछ साल पहले एक तरीका खोजा था। जरूरतमंद लोगों को पहले पैसा नकद दिया जाता था, जिसमें प्रधान-सचिव अपना हिस्सा पहले ही निकाल लेते थे। लेकिन बाद में इस धन को सीधे बैंक खातों में भेजा जाने लगा। लेकिन इसमें भी प्रधान-सचिव ने सेंध लगा दी। गांव के लोग जब बैंकों में पैसा निकालने जाते हैं तो वहां पहले से प्रधान-सचिव के आदमी मौजूद होते हैं। वे पैसा हाथ में आते ही अपना हिस्सा निकाल लेते हैं। कई शिकायतें ऐसी भी सामने आईं है कि बैंक के कर्मचारी भी इस भ्रष्टाचार में लिप्त हैं। वह प्रधान-सचिव को बता देते हैं कि विकास योजनाओं का पैसा आ गया है। इससे काम आसान हो गया है।गांव के विकास के नाम पर लूटा हुआ धन गांव के सरपंच, सचिव व रोजगार सहायक पर पंचायत कर्मचारियों के घरों में खूब चमक रहा है। जिन प्रधानों के घर प्रधान बनने से पहले कच्चे थे, प्रधान बनने के बाद चमाचम चमक रहे हैं। जिन रोजगार सेवकों के पास साइकिल तक नहीं हुआ करती थी, वह कारों से चल रहे हैं। ऐसी तस्वीरों को देखने के बाद ही पता चलता है कि पंचायतों में भ्रष्टाचार किस स्तर पर हो रहा है। हुकूमतों को इसे हल्के में नहीं लेना चाहिए, बल्कि बड़े भ्रष्टाचार के केसों की तरह गंभीरता से लिया जाना चाहिए।