उच्च न्यायालय ने चुनाव आयोग को लगाई फटकार कहाकि एक चुने गए प्रतिनिधि के खिलाफ कैसे नोटिस जारी कर दिया

उच्च न्यायालय ने कहा कि एक चुने गए प्रतिनिधि के खिलाफ कैसे नोटिस जारी कर दिया, वह भी एक उपजिलाधिकारी के जरिये। आयोग ने खुद क्यों जांच नहीं की? क्या आयोग का इरादा जनप्रतिनिधि का उत्पीड़न किए जाने का है? कोर्ट ने मामले में सुनवाई पूरी कर फैसला सुरक्षित कर दिया।
डिप्टी सीएम केशव प्रसाद मौर्य को हराने वाली सिराथू की विधायक पल्लवी पटेल के निर्वाचन को लेकर हुई शिकायत के मामले में जारी नोटिस पर इलाहाबाद हाईकोर्ट ने चुनाव आयोग की कार्यवाही पर सख्त नाराजगी जाहिर की। कोर्ट ने कहा कि एक चुने गए प्रतिनिधि के खिलाफ कैसे नोटिस जारी कर दिया, वह भी एक उपजिलाधिकारी के जरिये।
आयोग ने खुद क्यों जांच नहीं की? क्या आयोग का इरादा जनप्रतिनिधि का उत्पीड़न किए जाने का है? कोर्ट ने मामले में सुनवाई पूरी कर फैसला सुरक्षित कर दिया। पल्लवी सिंह पटेल की ओर से दाखिल याचिका पर मामले की सुनवाई न्यायमूर्ति सुनीता अग्रवाल और न्यायमूर्ति विक्रम डी. चौहान की खंडपीठ कर रही है।
निर्वाचन आयोग की ओर से वरिष्ठ अधिवक्ता राकेश पांडेय पक्ष रख रहे थे। उन्होंने कोर्ट को बताया कि याची के खिलाफ आयोग के समक्ष यह शिकायत आई थी कि उन्होंने अपने नामांकन के दौरान हलफनामे में आपराधिक मामले की जानकारी छुपाई है। आयोग ने इसका संज्ञान लेते हुए उपजिलाधिकारी को जांच के आदेश दिए। उपजिलाधिकारी ने याची से उनका पक्ष जानने के लिए नोटिस जारी किया है।
इस पर कोर्ट ने सख्त नाराजगी जताई। कहा कि एक चुने गए जनप्रतिनिधि के खिलाफ शिकायत की जांच निर्वाचन आयोग ने एसडीएम के जरिये कैसे शुरू करा दी। कोर्ट ने कहा कि निर्वाचन आयोग की यह कार्रवाई उत्पीड़नात्मक है। कोर्ट ने कहा कि आयोग एक सांविधानिक निकाय है। उसे चुने गए जनप्रतिनिधियों के मामले में की जाने वाली शिकायतों के निस्तारण के लिए प्रक्रिया का पालन करना चाहिए, लेकिन उसने प्रक्रिया का पालन करने की बजाय एक कनिष्ठ स्तर के अधिकारी को जांच की जिम्मेदारी सौंप दी। जबकि, निर्वाचन आयोग केपास जांच केसारे अधिकार और संसाधन उपलब्ध हैं।
आयोग को शिकायत की सत्यता का पता लगाना चाहिए था
कोर्ट ने कहा कि याची ने नामांकन के दौरान हलफनामे पर अपनी पूरी जानकारी दी है। उसका रिकार्ड चुनाव आयोग केपास है। अगर याची ने आपराधिक मामले की जानकारी छुपाई है तो पुलिस अधीक्षक से इसकी सत्यता का पता लगाया जा सकता है, लेकिन नोटिस जारी करना सही नहीं था। निर्वाचन आयोग के अधिवक्ता ने तर्क प्रस्तुत किया कि नोटिस जारी करने का अर्थ उत्पीड़न से न लगाया जाए।
कोर्ट ने कहा कि आयोग को पहले शिकायत की वास्तविकता का पता लगाना चाहिए था। अगर शिकायत सही पाई जाती तो उप चुनाव आयुक्त स्तर केअधिकारी से जांच करानी चाहिए न कि निचले स्तर के अधिकारी को जांच की जिम्मेदारी दी जाए। जैसा कि आयोग के नियम में प्रक्रिया बनाई गई है। उधर, विधायक पल्लवी पटेल की अधिवक्ता सरोज यादव की ओर से तर्क दिया गया कि याची केखिलाफ शिकायत एक सियासी साजिश के तहत की गई है।
याची ने डिप्टी सीएम केशव प्रसाद मौर्य को हराकर चुनाव जीता है। इस वजह से उसके खिलाफ शिकायत कर उत्पीड़न किया जा रहा है। हालांकि, कोर्ट ने इस तरह तर्कों को नजरअंदाज किया और पक्षकारों के अधिवक्ताओं को नोटिस जारी कर जांच करने के संदर्भ में दलील पर सुनवाई पूरी की और मामले में फैसला सुरक्षित कर लिया।
यह था मामला
सिराथू की विधायक पल्लवी पटेल पर 2022 विधानसभा चुनाव में नामांकन पत्र में उनके खिलाफ दर्ज आपराधिक मुकदमे की जानकारी छिपाने का आरोप लगाकर चुनाव आयोग से शिकायत की गई थी। सिराथू के दिलीप पटेल की ओर से हुई शिकायत का संज्ञान लेते हुए आयोग ने मामले की जांच की जिम्मेदारी उपजिलाधिकारी को दे दी। उपजिलाधिकारी ने मामले में नोटिस जारी कर विधायक से उनका पक्ष जाना।
विधायक ने इसके खिलाफ हाईकोर्ट में याचिका दाखिल कर दी। विधायक के खिलाफ हुई शिकायत में कहा गया है कि उनके और पति के खिलाफ फर्जी दस्तावेजों के माध्यम से फ्लैट हड़पने का मुकदमा लखनऊ के गोमतीनगर थाने में दर्ज कराया गया है। इसके अलावा कानपुर की जिला अदालत में पैतृक मकान हड़पने का मुकदमा विचाराधीन है। नामांकन पत्र में ये जानकारियां छुपाई गईं। चुनाव के दौरान चंदे में मिली रकम अपनी ससुराल जबलपुर भेज दी।

मिशन विजय

Mission Vijay Hindi News Paper Sultanpur, U.P.

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