शांति स्थापित करने में साहित्य की महती भूमिका- प्रो निशा सिंह

सुल्तानपुर। राणा प्रताप स्नातकोत्तर महाविद्यालय में अंग्रेजी विभाग ने अंतर्राष्ट्रीय शांति दिवस के अवसर पर एक गोष्ठी का आयोजन किया। यहाँ पर अँग्रेजी विभागाध्यक्ष प्रो निशा सिंह ने कहा कि विश्व शान्ति का आशय उस प्रक्रिया से है, जिसमें ज्ञान की प्राप्ति, मूल्यों, अभिवृत्तियों, कौशलों, पर्यावरणीय सन्तुलन एवं सामाजिक शांति का विकास संभव होता है जो कि एक आदर्श एवं आध्यात्मिक समाज के निर्माण का आधार होती है। यह समाज विभिन्न कलह एवं विवादों से पूर्णतः मुक्त होता है।शांति के बिना, समाजों के लिए आवश्यक विश्वास, सहयोग और समावेशन के स्तर को प्राप्त करना संभव नहीं होगा, ताकि वे झटकों के प्रति लचीला हो सकें, विवादों का प्रबंधन कर सकें और अपने वातावरण में बदलाव के अनुकूल हो सकें। उन्होंने कहा कि हमें प्राकृतिक खुशी बनाये रखना चाहिए, सबका सम्मान करना चाहिये, समृद्धि को शेयर करना चाहिये,फ़ाइव सेंस पर नियंत्रण रखना चाहिये जिससे किसी को अशांति न हो, सत्यम शिवम सुंदरम की विचारधारा पर चलना चाहिये। कोई भी साहित्य शांति को बढ़ावा देने में महती भूमिका निभाता है। डॉ संतोष सिंह अंश ने कहा कि राष्ट्रपिता महात्मा गांधी के दिखाए रास्ते पर चलकर ही दुनिया में शांति स्थापित हो सकती है और राष्ट्रों का अस्तित्व सुरक्षित रह सकता है। भारत प्राचीन काल से ही शांति का अग्रदूत रहा है, पंचशील और गुटनिरपेक्षता की नीति से भारत ने दुनिया को शांति का संदेश दिया। आज शांति शिक्षा की आवश्यकता सम्पूर्ण विश्व को है। हरेक विद्यार्थी को शांति की नीति का पालन कर मानवता की रक्षा के लिये खुद को समर्पित करना पड़ेगा। तब जाकर हम विश्व कल्याण और शांति का सपना साकार कर सकते है। इस गोष्ठी में कीर्ति गुप्ता, दीपांशु मौर्य, संतोष, खुशी सिंह, निशांत, दिव्या यादव, कोमल कनौजिया, रोशनी , सेजल सिंह, आभा शुक्ला, अमन सिंह, वैशाली ने अपने विचार व्यक्त किये। कार्यक्रम की रूपरेखा और सफल आयोजन का उत्तरदायित्व विभाग की असिस्टेंट प्रोफेसर ज्योति सक्सेना ने निभाया। इस गोष्ठी का सफल संचालन अमन सिंह ने किया।

मिशन विजय

Mission Vijay Hindi News Paper Sultanpur, U.P.

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