सुलतानपुर 25 दिसम्बर/ जिलाधिकारी रवीश गुप्ता के निर्देश के क्रम में जिला उद्यान अधिकारी रणविजय सिंह ने बताया कि आलू की फसल में जिन कृषकों ने अभी तक फफूंदनाशक दवा का पीय छिड़काव नहीं किया है या जिनकी आलू की फसल में अभी पिछेता झुलसा बीमारी प्रकट नहीं हुई है, उन किसान भाईयों को यह सलाह दी जाती है कि वे मैन्कोजेब/प्रोपीनेब/क्लोरोथेलोंनील युक्त फफूंदनाशक दवा का रोग सुग्राही किस्मों पर 0.2-0.25 प्रतिशत की दर से अर्थात 2.0 से 2.5 किग्रा० दवा 1000 ली0 पानी में घोलकर प्रति हेक्टेयर छिड़काव तुरन्त करें।
उन्होंने साथ ही साथ यह भी सलाह दी है कि जिन खेतों में बीमारी प्रकट हो चुकी हो उनमें किसी भी फफूंदनाशक-साइमोक्सेनिल+ मैंकोजेब का 3.0 किग्रा प्रति हेक्टेयर (1000 लीटर पानी) की दर से अथवा फेनोमिडोन +मैंकोजेब का 3.0 किग्रा0 प्रति हेक्टेयर (1000 लीटर पानी) की दर से अथवा डाईमेथोमार्फ +1.0 किग्रा० + मैंकोजेब 2.0 किग्रा० (कुल मिश्रण 3.0 किग्रा०) प्रति हेक्टेयर (1000 लीटर पानी) की दर से छिड़काव करें। फफूंदनाशक को दस दिन के अन्तराल पर दोहराया जा सकता है, लेकिन बीमारी की तीव्रता के आधार पर इस अन्तराल को घटाया या बढ़ाया जा सकता है। किसान भाइयों को इस बात का भी ध्यान रखना होगा कि एक ही फफूंदनाशक का बार-बार छिड़काव न करें।