सीएम के दरबार तक पहुंचेगा मेडिकल छात्रों का दर्द

अंबेडकरनगर/ महामाया राजकीय मेडिकल कॉलेज सद्दरपुर में छात्रों को जबरन फेल करने का मामला सीएम योगी आदित्यनाथ के दरबार में जल्द पहुंच सकता है। मेडिकल कॉलेज प्रशासन पर मनमानी करने का आरोप लगाने वाले छात्रों के कुछ परिवारीजन जल्द ही एक जनप्रतिनिधि के माध्यम से सीएम से मिलने की तैयारी में हैं। वे सीएम से मिलकर बताएंगे कि प्रकरण की जांच विश्वविद्यालय को संदर्भित करने के बजाय कॉलेज प्रशासन ने खुद ही जांच की रस्म पूरी कर ली। अभिभावक सीएम से मुलाकात के दौरान बताएंगे कि ग्रेस अंकों के साथ किसी तरह लिखित में पास होने वाले कई छात्रों को आश्चर्यजनक ढंग से प्रायोगिक परीक्षा में बेहतर अंक मिल गए। जबकि कई मेधावी छात्रों को प्रयोगात्मक परीक्षा में फेल हो जाना पड़ा है।महामाया राजकीय एलोपैथिक मेडिकल कॉलेज सद्दरपुर में एमबीबीएस थर्ड प्रोफेशनल पार्ट टू के कई छात्रों को जानबूझकर फेल कर देने के आरोप से उठा विवाद थमने का नाम नहीं ले रहा है। छात्रों व उनके अभिभावकों का कहना था कि प्रायोगिक परीक्षा में अंक देने के नाम पर मनमानी की गई है। इससे तमाम छात्रों को द्वेषपूर्ण अंक मिलने के कारण फेल होना पड़ा है। महाविद्यालय प्रशासन हालांकि इन आरोपों को काल्पनिक व भ्रम पूर्ण बता रहा है। उसका कहना है कि छात्रों को यह भ्रम है कि उन्हें जानबूझकर प्रयोगात्मक परीक्षा में कम अंक दिए गए हैं।प्राचार्य डॉ. संदीप कौशिक ने बीते दिन फिर से स्थिति स्पष्ट करते हुए बताया कि ऐेसे कई छात्र, जो प्रयोगात्मक परीक्षा में फेल हैं, वे किसी न किसी लिखित परीक्षा में भी उत्तीर्ण नहीं हुए हैं। ऐसे में यह कहना कि लिखित परीक्षा में उत्तीर्ण हुए 18 छात्रों को जानबूझकर प्रयोगात्मक परीक्षा में फेल कर दिया गया, सिर्फ भ्रम है। कॉलेज प्रशासन का यह पक्ष सामने आने के बाद भी छात्र व उनके अभिभावक संतुष्ट नहीं हैं। हालांकि कॉलेज प्रशासन ने बीते दिनों दो सदस्यीय टीम का गठन कर फौरी जांच भी कराई, लेकिन उसमें कुछ स्पष्ट तौर पर सामने नहीं आ सका। छात्रों व उनके अभिभावकों ने इस अंदरूनी जांच को सिर्फ लीपापोती करार दिया है।
अब ऐसे छात्रों के अभिभावक प्रकरण को मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के दरबार में ले जाने की तैयारी में हैं। नाम न छापने की शर्त पर छात्रों का कहना है कि इस अत्यंत गंभीर प्रकरण की जांच विश्वविद्यालय स्तर से होनी चाहिए थी। बेहतर तो यह होता कि विश्वविद्यालय प्रशासन व छात्रों की संयुक्त टीम बनाकर जांच कराई गई होती। अब तक इस तरफ महामाया एलोपैथिक कॉलेज के प्रशासन ने ध्यान नहीं दिया।
प्रकरण की संयुक्त जांच कराने की कोई सिफारिश विश्वविद्यालय को कॉलेज प्रशासन ने नहीं भेजी। छात्रों का कहना है कि यदि कॉलेज प्रशासन की भूमिका एकदम साफ है तो उसे खुद ही आगे आकर विश्वविद्यालय टीम व छात्र प्रतिनिधियों को शामिल कर जांच की घोषणा कराने का प्रयास करना था। ऐसा अब तक नहीं हो पाया। इसलिए अब प्रकरण को सीएम के संज्ञान में लाया जाएगा। बताया जाता है कि छात्रों के कुछ अभिभावक लखनऊ के एक जनप्रतिनिधि के संपर्क में हैं। संबंधित जनप्रतिनिधि के माध्यम से सीएम दरबार तक प्रकरण पहुंचाए जाने की तैयारी की जा रही है। माना जा रहा है कि जल्द ही सीएम से मुलाकात कर बताया जाएगा कि प्रयोगात्मक परीक्षा के नाम पर मनमानी की गई है।
छात्रों को है सिर्फ भ्रम
छात्रों को यह भ्रम है कि उन्हें प्रयोगात्मक परीक्षा में जानबूझकर कम अंक मिले हैं। ऐसा कदापि नहीं है। पैनल में विश्वविद्यालय के भी प्रतिनिधि शामिल थे। ऐसे तमाम छात्र हैं, जो लिखित परीक्षा में भी फेल हैं। यदि छात्रों को वाकई दिक्कत लग रही है तो उन्हें मुझसे संपर्क करना चाहिए। मैं उनका स्थानीय अभिभावक हूं। उनके हितों को कतई आंच नहीं आने दी जाएगी। प्रत्येक छात्र को संतुष्ट किया जाएगा। लेकिन यह तभी हो पाएगा, जब छात्र या उनके अभिभावक सामने आएंगे।
डॉ. संदीप कौशिक, प्राचार्य राजकीय मेडिकल कॉलेज सद्दरपुर

मिशन विजय

Mission Vijay Hindi News Paper Sultanpur, U.P.

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *