अवध विश्वविद्यालय शिक्षक संघ अध्यक्ष ने किया मुख्यमंत्री से विश्वविद्यालय में व्याप्त भ्रष्टाचार की जांच की मांग

चहेते महाविद्यालयों की सहृदयता में कुलसचिव/परीक्षा नियंत्रक द्वारा चलाया जा रहा है भ्रष्टाचार का रैकेट

कुलसचिव/परीक्षा नियंत्रक ने सेवा निवृत्त तृतीय श्रेणी कर्मचारी बना रखा है केन्द्रीय मूल्यांकन प्रभारीअयोध्या मण्डल : डॉ राममनोहर लोहिया अवध विश्वविद्यालय अयोध्या के विश्वविद्यालय महाविद्यालय स्थायी शिक्षक संघ अध्यक्ष डॉ वी पी सिंह ने विश्वविद्यालय में व्याप्त भ्रष्टाचार एवं अनियमितता की जांच के लिए मुख्यमंत्री उत्तर प्रदेश से मांग किया है। डॉ सिंह के द्वारा प्रेषित पत्र के अनुसार विगत 04 वर्ष से कुलसचिव के पद पर व 02 वर्ष से परीक्षा नियंत्रक के पद पर कार्यरत उमानाथ सिंह के द्वारा अपने कुछ चहेते महाविद्यालयों को लाभ पहुंचाने के उद्देश्य से विश्वविद्यालय की परीक्षा मूल्यांकन प्रायोगिक एवं मौखिकी परीक्षाओं में खुलेआम धांधली व अनियमितता की शिकायत की गयी है।

कुलसचिव/परीक्षा नियंत्रक की कृपा से कुछ कागजों पर संचालित महाविद्यालयों को विशेष व्यवस्था व संरक्षण प्रदान किया जाता है यहां तक कि प्रायोगिक व मौखिकी परीक्षा की सुचना सम्बंधित परीक्षक को विश्वविद्यालय से प्रदान किये जाने के बजाय सम्बन्धित महाविद्यालयों द्वारा दी जा रही है जिसमें व्यापक रूप से खेल किया जा रहा है। कूल सचिव/परीक्षा नियंत्रक के कृपा पात्र सम्बन्धित महाविद्यालयों द्वारा बिना उक्त परीक्षकों को सूचित किये ही परीक्षा सम्पन्न करवायी जा रही है। विश्वविद्यालय के केन्द्रीय मूल्यांकन में स्थायी शिक्षकों के बजाय कुलसचिव/परीक्षा नियंत्रक के निर्देश पर स्ववित्तपोषित शिक्षकों से ही सम्पूर्ण मूल्यांकन कार्य करवाया जा रहा है क्योंकि स्ववित्तपोषित शिक्षकों से कुलसचिव/परीक्षा नियंत्रक द्वारा अपने चहेते महाविद्यालयों को लाभ प्रदान करवाना आसान होता है। यहां तक कि विश्वविद्यालय के 02 वर्ष पूर्व सेवानिवृत्त तृतीय श्रेणी कर्मचारी को गणेशराय को केन्द्रीय मूल्यांकन का प्रभारी बनाया गया है। जिनके संरक्षण में ऐसे ऐसे स्ववित्तपोषित शिक्षकों से मूल्यांकन कार्य करवाया जा रहा है जो कि या तो महाविद्यालयों में कार्यरत ही नहीं है या फिर दो चार वर्ष पूर्व महाविद्यालय से निष्कासित किये जा चुके या फिर महाविद्यालय छोड़ चुके हैं, लेकिन कुलसचिव/परीक्षा नियंत्रक की सदाशयता व गणेशराय की कृपा से बेधड़क मूल्यांकन कार्य में कोटा पूरा कर रहे हैं।

कुलसचिव/परीक्षा नियंत्रक के चहेते महाविद्यालयों में न तो उड़ाका दल भेजा जाता है, और यदि भेजा भी जाता है तो मात्र औपचारिकता के लिए ही। इसी का परिणाम है विश्वविद्यालय परिक्षेत्र के ऐसे महाविद्यालयों का परीक्षा परिणाम कुलसचिव/परीक्षा नियंत्रक की कृपा करें वित्तपोषित महाविद्यालयों से उत्कृष्ट ही आता है जिसके एवज में कुलसचिव/परीक्षा नियंत्रक को  सम्बन्धित निजी महाविद्यालयों से लाभ भी प्राप्त होता है।कुलसचिव/परीक्षा नियंत्रक के द्वारा शासनादेश नियम व कानून की धज्जियां उड़ाते हुए शिक्षक संघ के विरोध को भी दरकिनार कर वर्ष भर पढ़ाई लिखाई को चौपट कर मात्र परीक्षा पर ही विशेष ध्यान दिया जाता है। जिसके कारण विश्वविद्यालय से सम्बद्ध महाविद्यालयों की पढ़ाई लिखाई चौपट हो चुकी है। क्यों कि जितनी अधिक परीक्षा, उतनी अधिक कमाई का फार्मूला चलाया जा रहा है। मनमाने ढंग से छात्रों की फीस बढ़ाना, माननीय हाई कोर्ट के आदेश की अवमानना करना कुलसचिव/परीक्षा नियंत्रक की नियत बन चुकी है।अवध विश्वविद्यालय की परीक्षा व्यवस्था कुलसचिव/परीक्षा नियंत्रक के द्वारा एक दम से चौपट कर दी गयी है। मूल्यांकन कार्य के एक वर्ष बाद पारिश्रमिक की प्राप्ति हो पा रही है। प्रयोगात्मक एवं मौखिकी परीक्षा पूरी तरह से मजाक बन कर रह गयी है जिसमें कुलसचिव/परीक्षा नियंत्रक की मिली भगत से सैकड़ों अनुपस्थिति छात्रों को उपस्थित करने का चहेते महाविद्यालयों द्वारा खेल खेला जा रहा है। उपरोक्त के अलावा सूत्रों की सूचना के अनुसार कुलसचिव/परीक्षा नियंत्रक के निर्देश पर विश्वविद्यालय में प्रायोगिक एवं मौखिकी परीक्षाओं में आन्तरिक व बाह्य परीक्षक नियुक्त करने में भी नियम व मानकों की धज्जियां उड़ाई जा रही है, जहां पर परीक्षक नियुक्त करने में वरिष्ठता व कनिष्ठता का कोई मानक नहीं, बस परीक्षा गोपनीय विभाग में  चढ़ावा चढाईये, परीक्षक बनिये, की प्रक्रिया अपनाई जा रही है।कुलसचिव/परीक्षा नियंत्रक के निर्देश पर ही कितने ऐसे महाविद्यालयों में प्रायोगिकी एवं मौखिकी परीक्षाओं के लिए आन्तरिक एवं बाह्य दोनों परीक्षक अन्य महाविद्यालयों से ही भेजे जा रहे हैं, इसका तात्पर्य है कि उक्त महाविद्यालय में सम्बन्धित विषय में कोई अनुमोदित शिक्षक ही नहीं है, तो इसे पूंछने वाला कोई नहीं है कि जब विषय में शिक्षक ही नहीं है तो आखिर कई वर्ष से विषय संचालित कैसे हो रहा है ? इसी प्रकार अवध विश्वविद्यालय के कुलसचिव उमानाथ सिंह व इनके गिरोह की सहृदयता व संरक्षण में सैकड़ों शिक्षक व प्राचार्य विहीन व कागजी महाविद्यालयों द्वारा उच्च शिक्षा गुणवत्ता में माननीय मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ की नीति के विपरीत चार चांद लगा रहे हैं।

कुलसचिव/परीक्षा नियंत्रक के द्वारा किये व करवायें जा रहे भ्रष्टाचार अनियमितता व शिक्षक प्राचार्य विहीन महाविद्यालयों के प्रति सहृदयता की शिकायत अवध विश्वविद्यालय सम्बद्ध अनुदानित महाविद्यालय शिक्षक संघ के अध्यक्ष डॉ वी पी सिंह एवं महामंत्री डॉ जितेन्द्र सिंह ने कुलाधिपति/राज्यपाल उत्तर प्रदेश, कुलपति अवध विश्वविद्यालय अयोध्या, मुख्यमंत्री उत्तर प्रदेश सरकार, उच्च शिक्षा मंत्री उत्तर प्रदेश सरकार एवं अपर मुख्य सचिव उच्च शिक्षा लखनऊ से की गयी है।

मिशन विजय

Mission Vijay Hindi News Paper Sultanpur, U.P.

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *