उत्तर प्रदेश के सीएम के नाम से नहीं हटेगा योगी, हाईकोर्ट ने याचिका को खारिज कर ठोका इतने लाख का जुर्माना
इलाहाबाद हाईकोर्ट ने मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ को अपने नाम के साथ योगी शब्द का प्रयोग करने से रोकने की मांग को लेकर दाखिल याचिका एक लाख रुपये हर्जाने के साथ खारिज कर दी है। कोर्ट ने याचिकाकर्ता को को जुर्माने की राशि डेढ़ माह में जमा करने का निर्देश दिया है। ये रकम प्रयागराज के जवाहरलाल नेहरू रोड के विकलांग आश्रम में जमा की जाएगी। यह आदेश मुख्य न्यायमूर्ति राजेश बिंदल एवं न्यायमूर्ति पीयूष अग्रवाल की खंडपीठ ने दिया है।
याचिका में कोर्ट से मांग की गई थी कि उत्तर प्रदेश में मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के कई नाम लिखे जाते है। जबकि उन्हें सिर्फ अपने आधिकारिक नाम से ही चुनाव लड़ना चाहिए और उसी नाम से शपथ लेनी चाहिए। याचिका के अनुसार योगी आदित्यनाथ ने 2004, 2009, 2014 के चुनाव में आदित्यनाथ के नाम से शपथ ली। उसके बाद उन्होंने अपने नाम के आगे योगी जोड़ दिया। याचिका में यह भी कहा गया था कि कई नाम लिखने से प्रदेश की 32 करोड़ की जनता के बीच संशय बना रहता है। वह अपने नाम के साथ योगी शब्द का इस्तेमाल उसी तरह से कर रहे हैं, जैसे डॉक्टर या इंजीनियर टाइटल का उपयोग किया जाता है इसलिए उन्हें अपने नाम के आगे योगी शब्द का प्रयोग करने से रोका जाए। कोर्ट ने याचिका को न्यायालय का समय बर्बाद करने वाली बताते हुए एक लाख रुपये हर्जाना लगाया और याचिका खारिज कर दी।
बेमतलब है जनहित याचिका
सरकारी अधिवक्ता की तरफ से कहा गया कि जनहित याचिका बेमतलब है। बहस की गई कि आदित्यनाथ को निजी तौर पर पक्षकार बनाया गया है। इस कारण जनहित याचिका पोषणीय नहीं है। इसके अलावा यह भी कहा गया कि याची ने हाईकोर्ट रूल्स के मुताबिक अपनी पहचान स्पष्ट नहीं की है। इस कारण भी याचिका खारिज किए जाने योग्य है। अपर महाधिवक्ता मनीष गोयल ने कहा कि याची ने सस्ती लोकप्रियता के उद्देश्य से जनहित याचिका दाखिल की है, इस कारण यह खारिज किए जाने योग्य है।